Abort का अर्थ और इसका बैंकिंग प्रणाली पर असर

आजकल बैंकिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई ऐसे कई शब्दों का उपयोग होता है जिनके बारे में सामान्य लोगों को जानकारी नहीं होती है। इन्हीं में से एक शब्द है “Abort”। वैसे तो अलग-अलग छेत्र मे इस शब्द का अलग-अलग मतलब हो सकता है।

लेकिन आज हम विशेष रूप से बैंकिंग सेक्टर में Abort के मतलब व इसके उपयोग के बारे में जानने का प्रयास करेंगे। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि बैंकिंग मे Abort का क्या अर्थ (Abort Means in Banking in Hindi) है, व इसके कुछ उदाहरण भी देखेंगे।

Abort का मतलब क्या है? | Abort Means in Banking in Hindi

Abort एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ “रद्द करना” या “बीच में छोड़ देना” होता है। बैंकिंग के संदर्भ में, Abort का मतलब किसी लेनदेन या प्रक्रिया को बीच में ही रोक देना या उसे पूरा होने से पहले समाप्त कर देना होता है।

जब कोई ग्राहक बैंक के माध्यम से पैसों का लेनदेन करता है, तो कभी-कभी तकनीकी गड़बड़ी, गलत जानकारी या अन्य कारणों से उस लेनदेन को बीच में ही रोकना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में बैंकिंग सिस्टम द्वारा उस ट्रांजैक्शन को Abort कर दिया जाता है, यानी उसे रद्द कर दिया जाता है।

उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति ऑनलाइन फंड ट्रांसफर कर रहा है और बीच में ही उसे पता चलता है कि उसने गलत खाता नंबर डाल दिया है, तो वह ट्रांजैक्शन को Abort कर सकता है। इसके अलावा, अगर बैंक की सर्वर में कोई तकनीकी समस्या आ जाती है, तो सिस्टम स्वयं ही लेनदेन को Abort कर देता है ताकि गलत तरीके से पैसा ट्रांसफर न हो जाए।

बैंकिंग में Abort का उदाहरण

बैंकिंग में Abort के कुछ सामान्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  1. ATM लेनदेन में Abort: कई बार जब कोई व्यक्ति ATM से पैसे निकालने की प्रक्रिया शुरू करता है, लेकिन बीच में ही मशीन में तकनीकी खराबी आ जाती है, तो सिस्टम ट्रांजैक्शन को Abort कर देता है। इससे ग्राहक का पैसा सुरक्षित रहता है और गलत तरीके से डेबिट नहीं होता।
  2. ऑनलाइन पेमेंट में Abort: जब कोई व्यक्ति ऑनलाइन शॉपिंग करते समय पेमेंट कर रहा होता है और अचानक नेटवर्क कनेक्शन खराब हो जाता है, तो पेमेंट गेटवे उस ट्रांजैक्शन को Abort कर देता है। इससे दोहरा पेमेंट होने का खतरा नहीं रहता।
  3. चेक पेमेंट रद्द करना: अगर कोई व्यक्ति चेक जारी करने के बाद उसे रद्द करना चाहता है, तो वह बैंक में जाकर उस चेक को Abort करवा सकता है। इससे चेक का भुगतान नहीं होगा।
  4. लोन प्रोसेसिंग रोकना: कई बार ग्राहक लोन के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन बीच में ही उन्हें लोन नहीं चाहिए होता। ऐसे में वे बैंक से संपर्क करके लोन प्रोसेसिंग को Abort करवा सकते हैं।

निष्कर्ष

Abort का मतलब किसी प्रक्रिया या लेनदेन को बीच में ही रोक देना होता है। बैंकिंग के क्षेत्र में यह शब्द काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे गलत लेनदेन या धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलती है।

ग्राहकों के लिए यह सुविधा बहुत उपयोगी है क्योंकि वे किसी भी गलत ट्रांजैक्शन को बीच में ही रोक सकते हैं। अगर आप भी बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करते हैं, तो Abort के बारे में जानकारी होना आपके लिए फायदेमंद होगा।

FAQs

  1. क्या Abort और Cancel में कोई अंतर है?

    हाँ, Abort और Cancel में थोड़ा अंतर है। Cancel का मतलब किसी प्रक्रिया को शुरू होने से पहले ही रद्द करना होता है, जबकि Abort का मतलब प्रक्रिया के बीच में ही उसे रोक देना होता है।

  2. क्या Abort होने पर पैसे वापस मिल जाते हैं?

    अगर कोई ट्रांजैक्शन Abort हो जाता है, तो आमतौर पर पैसे ग्राहक के खाते में वापस आ जाते हैं। हालाँकि, इसमें थोड़ा समय लग सकता है।

  3. क्या बैंक स्वयं किसी ट्रांजैक्शन को Abort कर सकता है?

    हाँ, अगर बैंक को लगता है कि कोई ट्रांजैक्शन फ्रॉड या तकनीकी गड़बड़ी की वजह से हुआ है, तो वह उसे Abort कर सकता है।

  4. क्या मोबाइल बैंकिंग में भी Abort की सुविधा होती है?

    जी हाँ, अगर आप मोबाइल बैंकिंग के जरिए कोई ट्रांजैक्शन कर रहे हैं और उसे बीच में रोकना चाहते हैं, तो आप Abort का विकल्प चुन सकते हैं।

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Jony Baku
Administrator at  | Finance Expert

हेलो दोस्तों, मेरा नाम जॉनी बाकू है और मैं भारत के हरियाणा राज्य का रहने वाला हूं! मैंने ब्लॉगिंग (Blogging) की दुनिया में अपना पहला कदम वर्ष 2019 में रखा था और तभी से मैं इस क्षेत्र में अपना योगदान देने के लिए प्रयासरत हूं! मुझे आर्टिकल लिखना एवं पढ़ना बहुत पसंद है इसी वजह से मैं अपने आर्टिकल को बेहतर से बेहतर लिखने का प्रयास करता हूं!

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